गिरीश खडायत / सुनील पाल
हरिद्वार लोकसभा सीट से अपने बेटे वीरेंद्र रावत को टिकट दिलाने में सफल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेसियों के ही निशाने पर हैं। पार्टी के अंदर से ही परिवारवाद और पुत्र मोह के आरोप लग रहे हैं। इसके लिए हरीश रावत की जमकर आलोचना भी हो रही है जिसे लेकर उन्होंने खुद सफाई दी। हरीश रावत ने समझाने की कोशिश कि है कि वीरेंद्र रावत उनके बेटे जरूर हैं मगर उसके साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता भी हैं। बेटे को टिकट दिये जाने पर पूर्व सीएम ने कई तर्क दिए हैं और वीरेंद्र रावत को सच्चा कांग्रेसी साबित करने की कोशिश की है।
हरीश रावत ने वीरेंद्र पर क्या कहा?
हरीश रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये अपनी बात साझा की है। हरीश रावत ने लिखा है पुत्र या कार्यकर्ता ? Virender Rawat ने 1998 से निरंतर कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में उत्तराखंड में काम किया है और 2009 से निरंतर हरिद्वार में काम किया है, गांव-गांव लोगों के दु:ख-सुख में खड़े रहे हैं। 1996 में दिल्ली के सबसे बड़े महाविद्यालय दयाल सिंह डिग्री कॉलेज के अध्यक्ष रहे हैं, दिल्ली NSUI के महासचिव रहे हैं, उत्तराखंड में युवक कांग्रेस, कांग्रेस सेवादल और अब उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हैं। पार्टी हाई कमान ने खूब जानकारी एकत्रित की, जब निश्चित हो गया कि पुत्र नहीं कार्यकर्ता भारी है, तब विरेंद्र रावत का हरिद्वार लोकसभा प्रत्याशी के रूप में चयन हुआ।विरेंद्र बेटे भी हैं, शिष्य भी हैं, मगर मैं एक बात पूरी दृढ़ता से कहना चाहूंगा कि सेवा, समर्पण, समन्वय, समरचता और विकास की सोच के मामले में विरेंद्र मुझसे 19 साबित नहीं होंगे बल्कि कालांतर में 21 साबित होंगे।
हरदा का भरोसा कायम रखेंगे कांग्रेसी?
हरीश रावत ने सफाई तो दे दी है मगर बड़ा सवाल है कि क्या कांग्रेसी उनका भरोसा कायम रखेंगे? क्या हरिद्वार के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच वीरेंद्र रावत अपने लिए जीत का रास्ता तलाश पाएंगे? क्या कांग्रेस संगठन एकजुट होकर चुनाव में लड़ता हुआ दिखेगा? क्या क्या पार्टी के नेताओं का साथ हरीश रावत और वीरेंद्र रावत को मिलेगा? इन सब सवालों का जवाब अगले कुछ दिनों में मिल जाएगा, वैसे अंदरखाने कांग्रेस भी मान रही है कि वीरेंद्र को उतारकर शायद कोई चूक तो हो ही गई है। बड़ा सवाल है कि जब कांग्रेसी ही स्वीकार नहीं कर पा रहे तो जनता को कैसे समझा पाएंगे और वोट कैसे हासिल करेंगे?