स्वरूप पुरी/सुनील पाल
अपने बाघों के लिए विख्यात राजाजी टाइगर रिजर्व नित नए आयाम गठित कर रहा है। बीते कुछ समय मे यंहा के पश्चिमी छोर पर स्थित मोतीचूर रेंज में चार बाघों के ट्रांसलोकेसन से वनकर्मियों में उत्साह है। गौरतलब है कि पार्क के पूर्वी छेत्र में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। मगर रिजर्व के पश्चिमी छेत्र में केवल दो मादा बाघिन थी। इस छेत्र में मौजूद सात रेंजों के लिहाज से यह संख्या काफी कम थी। जिसके बाद योजना के तहत जिम कॉर्बेट से यंहा बाघों को ट्रांसलोकेट किया गया। अब तक यंहा चार बाघों को सफलतापूर्वक ट्रांसलोकेट किया जा चुका है ,जल्द ही पांचवे बाघ को भी यंहा ट्रांसलोकेट किया जाएगा।
बाल्मीकि टाइगर रिजर्व की 15 सदस्यीय टीम ने लिया तीन दिवसीय प्रशिक्षण, बाघों के संरक्षण के साथ मोतीचूर व कांसरो की जैवविविधता का किया अध्यन
बाघों के संरक्षण व संवर्धन के साथ ही कॉर्बेट से लाये चार बाघों के सफलता पूर्वक ट्रांसलोकेसन के बाद, अब देश के अन्य टाइगर रिजर्व के वनकर्मी भी यंहा प्रशिक्षण लेने पँहुच रहे है। आज बाल्मीकि टाइगर रिजर्व के पन्द्रह सदस्यीय दल ने अपना प्रशिक्षण व भर्मण पूरा किया। बीटीआर की टीम ने चीला, मोतीचूर, धौलखण्ड, कांसरो का दौरा कर बाघों के संरक्षण के तौर तरीकों का विस्तृत अध्ययन किया।
मोतीचूर में तैनात आशीष गौड़, मनोज चौहान व डब्लू डब्लू एफ के डॉ बोपन्ना और विक्रम तोमर ने रेलवे ट्रैक पर मोनिटरिंग , कॉरिडोर पर गस्त सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां इनसे साझा की। तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण भ्रमण में वन्यजीव प्रतिपालक हरीश नेगी, एसीएफ सरिता भट्ट,अजय लिंगवाल भी मौजूद रहे।
“बीटीआर की टीम ने दो दिनों तक मोतीचूर व कांसरो की जैव विविधता के अध्ययन के साथ बाघों के संरक्षण को लेकर किये जा रहे कार्यो को परखा,साथ ही उन्होंने अपने छेत्र में हो रहे कार्यो के अनुभव को भी साझा किया। “
महेश सेमवाल, वनक्षेत्राधिकारी मोतीचूर रेंज राजाजी।