हरिद्वार। तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि प्रभु राम सनातन धर्म ही नहीं बल्कि मानवताके प्राण हैं। आज भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में राम का रामत्व छा गया है।
कनखल राजघाट में गंगा के पावन तट पर श्री राम कथा को विस्तार देते हुए स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि वेदों के हर श्लोक में राम कथा कही गई है।
कैकेई और मंथरा पर चर्चा करते हुए स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि भगवान राम ने मानव कल्याण के लिए वनवास को अंगीकार करने के लिए सरस्वती माता के माध्यम से कैकेई से राजा दशरथ से वरदान मंगवाया और मानवता के उत्थान के लिए राज-पाट संभालने की बजाय बनवास जाना स्वीकार किया।
उन्होंने कहा कि वनवास के समय भगवान श्री राम ने सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार और मानव कल्याण के लिए उत्तर से दक्षिण की यात्रा की। सनातन संस्कृति और मानवता को सुंदृढ़ता प्रदान की।
उन्होंने भारतीय इतिहास की ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कभी-कभी इतिहास की छोटी-सी भूल बहुत बड़ी हानि का कारण बन जाती है। और ऐसे ही आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती से हुई जो बहुत बड़ी हानि का कारण बनी। स्वामी दयानंद सरस्वती ने रामायण और महाभारत को काल्पनिक कहकर बड़ी भूल की।
भावुक होते हुए स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि गंगा के पावन तट पर वे सप्रमाण यह सिद्ध कर सकते हैं कि वेदों के राम कथा विराजमान हैं।
आज उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल स्वामी रामभद्राचार्य महाराज के श्री मुख से राम कथा का श्रवण करने पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने महाराज श्री को इस सदी का महान संत बताया। जिनकी ओजस्वी वाणी ने समाज और राष्ट्र को नई दिशा दी। स्वामी जी सनातन संस्कृति के महान संत है।
इस अवसर पर श्री राम कथा के मुख्य यजमान प्रशांत शर्मा और अचिन अग्रवाल और मुख्य संयोजक नितिन माना अभिनंदन गुप्ता, सुनील अग्रवाल गुड्डू, अखिलेश शिवपुरी ने कैबिनेट मत्री प्रेमचंद अग्रवाल को अंगवस्त्र और स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
अखिलेश शिवपुरी, नमित गोयल, गौरव गुप्ता, गगन गुप्ता, भगवत शरण अग्रवाल ने महामंडलेश्वर रुपेंद्र प्रकाश, महंत गोविंद दास, महंत राघवेंद्र दास, विधायक आदेश चौहान तथा उत्तराखंड संस्कृत विद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल, गंगा सभा अध्यक्ष नितिन गौतम, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ को अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। कथा का संचालन आचार्य रामचंद्र दास ने किया। प्रसाद वितरण में सहयोग बालाजी सेवा समिति कनखल के दीपक बंसल, चौधरी प्रतीक और ईशान मित्तल ने किया।