हरिद्वार चंडी देवी मंदिर में भ्रष्टाचार के साए से पारदर्शिता की ओर कदम, BKTC की सख्ती से 34 लाख रुपये हुए सुरक्षित

हरिद्वार: उत्तराखंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मां चंडी देवी मंदिर एक बार फिर चर्चा में है। मंदिर की वित्तीय व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बदरी-केदार मंदिर समिति (BKTC) द्वारा रिसीवर नियुक्त किए जाने के बाद मात्र 1 माह 18 दिन में मंदिर ट्रस्ट के खाते में 34 लाख रुपये जमा हुए हैं। इस उपलब्धि ने कई पुराने सवालों को जन्म दिया है—2009 में ट्रस्ट बनने के बाद से अब तक मंदिर की इतनी बड़ी आय आखिर कहां गई और उसका इस्तेमाल किस प्रकार हुआ?

2009 से 2025 तक का हिसाब-किताब सवालों के घेरे में

जानकारी के अनुसार, मंदिर ट्रस्ट का गठन 2009 में हुआ था। इतने वर्षों में मंदिर को लाखों श्रद्धालुओं की ओर से दान मिला, लेकिन उन पैसों का कोई स्पष्ट रिकॉर्ड सामने नहीं है। मंदिर की ओर से केवल कुछ दुकानें बनवाई गईं, जिनमें से कई आवंटन बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के हुए। इतना ही नहीं, कई दुकानें अब अवैध निर्माण और अतिक्रमण की श्रेणी में गिनी जा रही हैं। इस पूरे मामले की अब कानूनी जांच की जाएगी।

श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर अब जोर

BKTC के हस्तक्षेप के बाद मंदिर परिसर की दशा में सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं की शिकायत रही है कि मंदिर में लंबे समय से लो-वोल्टेज की समस्या बनी हुई थी। अब बिजली की आपूर्ति को दुरुस्त करने के लिए नए पोल लगाए जा रहे हैं और विद्युत लाइनों को अपग्रेड किया जा रहा है।

इसके अलावा, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए चार महिला और चार पुरुष शौचालय बनाने की योजना को भी मंजूरी दी गई है। यह कार्य जल्द ही शुरू होने वाला है, ताकि दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को बेहतर अनुभव मिल सके।

कानूनी जांच की तैयारी

प्रशासन का कहना है कि 2009 से 2025 तक की अवधि में मंदिर की आमदनी का हिसाब पूरी तरह से पारदर्शी नहीं है। दान की गई धनराशि का उपयोग श्रद्धालुओं की भलाई के बजाय दुकानों और अन्य निर्माणों पर हुआ, वह भी अवैध रूप से। अब इस पूरे मामले की कानूनी जांच होगी, ताकि यह पता चल सके कि लाखों-करोड़ों की राशि आखिर कहां और कैसे खर्च की गई।

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