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बिहार चुनाव परिणाम: आगे क्या?
यह प्रश्न कांग्रेस नेताओं के मन में गूंज रहा है, राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक। मंथन का दौर जारी है, लेकिन इस बीच कांग्रेस नेता फिर से वही राग अलाप रहे हैं। पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान देने की बजाय, बयान देकर स्थिति को संभालने की कोशिश की जा रही है।
पटना: चुनावी परिदृश्य
कांग्रेस का वोट चोरी अभियान भले ही चुनाव प्रचार में ज्यादा समर्थन नहीं मिला हो, लेकिन शुक्रवार को बिहार में 19 सीटों से घटकर छह सीटों पर आ गई है। वहीं, उसकी सहयोगी राजद को 25 सीटें मिलीं, जो 15 साल में उसकी सबसे कम है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि परिणाम बड़े पैमाने पर वोट चोरी को दर्शाते हैं। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसका कोई उल्लेख करने से परहेज किया। राहुल गांधी ने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि चुनाव शुरू से ही निष्पक्ष नहीं थे। रमेश ने कहा कि बिहार के चुनाव परिणाम निस्संदेह बड़े पैमाने पर वोट चोरी को दर्शाते हैं, जिसका षड्यंत्र प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और चुनाव आयोग ने रचा है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस संविधान की रक्षा और हमारे लोकतंत्र को बचाने के अपने अभियान को और भी मजबूती से जारी रखने का संकल्प दोहराती है।
बयानों की राजनीति
कुछ ही मिनटों बाद खरगे ने कहा कि कांग्रेस जनता द्वारा दिए गए जनादेश का सम्मान करती है और उन्होंने उन ताकतों के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की कसम खाई है, जो संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करके लोकतंत्र को कमजोर करने में लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी परिणामों का गहन अध्ययन करेगी और “लोगों के साथ रहकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष जारी रखेगी।” दूसरी ओर, गांधी ने कहा कि परिणाम चौंकाने वाला था और गठबंधन ऐसे चुनाव में विजयी नहीं हो सकता, जो शुरू से ही निष्पक्ष नहीं था। ये प्रतिक्रियाएं कांग्रेस और व्यापक रूप से विपक्ष में व्याप्त असमंजस को उजागर करती हैं, जो भाजपा को 240 सीटों पर सीमित करने के एक वर्ष से कुछ अधिक समय बाद अब पुनः रणनीति बनाने पर विचार कर रहा है, जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पहली बार सहयोगियों पर निर्भर होना पड़ रहा है।
