डेटा रूपी शस्त्र को मानव कल्याण के लिए ही करें प्रयोग -प्रो. बत्रा।

हरिद्वार। शनिवार को एसएमजेएन (पीजी) काॅलेज में राष्ट्रीय सांख्यिकीय दिवस के अवसर पर प्राचार्य कक्ष में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें सर्वप्रथम सांख्यिकी वेत्ता पी.सी. महालानोबिस को श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी। इस अवसर पर काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि 2007 से, हर वर्ष समकालीन राष्ट्रीय महत्व के विषय के साथ सांख्यिकी दिवस का आयोजन किया जाता है। इस बार के सांख्यिकी दिवस, 2024 का विषय निर्णय लेने के लिए डेटा का उपयोग है। डेटा संचालित निर्णय लेने की अवधारणा किसी भी क्षेत्र में सूचित निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण है और यह आधिकारिक सांख्यिकी से निकलने वाली सांख्यिकीय जानकारी की बेहतर समझ और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की सुविधा के लिए पूर्व आवश्यकताओ में से एक है इन सभी तत्वों के गुणात्मक एवं गणनात्मक आंकड़ो का संकलन आवश्यक है। इस अवसर पर उन्होंने कहा की आंकड़ों का प्रयोग सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों परिणामो के लिए किया जा सकता हैं उन्होंने कहा कि डेटा रूपी शस्त्र को सकारात्मकता के साथ केवल मानवकल्याण के लिए ही प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सांख्यिकी प्रणाली एवं आर्थिक योजना निर्माण के क्षेत्रों में स्वर्गीय प्रोफेसर पी.सी. महालानोबिस ने उल्लेखनीय योगदान दिया हैं। उन्होंने बताया कि महालानोबिस ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आई.एस.आई.) की स्थापना के लिए बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण की योजना में भी अपना अतुल्य योगदान दिया। डाॅ. बत्रा ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक, योजना निर्माण एवं नीति निर्माण सांख्यिकी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना है। सांख्यिकी की महत्ता को रेखांकित करना और नियोजन तथा नीति निर्माण के क्षेत्र में आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए वर्ष भर ठोस प्रयास करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह विषय सांख्यिकीय प्रणाली और उत्पादों में गुणवत्ता के अनिवार्य मानकों के अनुपालन के महत्व को दर्शाता है। समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. जगदीश चन्द्र आर्य ने कहा कि सांख्यिकी अंकों का खेल नहीं अपितु देश में विकास की आधारशिला है। इस अवसर पर श्रीमति रुचिता सक्सेना ने बताया कि आंकड़े गुणात्मक व मात्रात्मक दो प्रकार के होते हैं। निर्णयन क्षमता को इन आंकड़ों द्वारा प्रभावी बनाया जा सकता है। वैज्ञानिक आंकड़ें जहाँ वर्तमान के विकास केा बताते हैं वहीं भविष्य के सतत् विकास के लिए भी आवश्यक हैं, किसी भी देश की योजनाओं को बिना आकड़ों के नहीं बताया जा सकता है। कार्यक्रम में बी एस सी की छात्रा अर्शिका ने कहा कि विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षा तथा रोजगार प्राप्त करने में भी आंकड़ों का बहुत महत्व हैं। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण तथा सतत विकास में डेटा की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए पर्यावरण प्रकोष्ठ के समन्वयक डॉ. विजय शर्मा ने बताया कि आंकड़ों का सटीक विश्लेषण पर्यावरण के विभिन्न घटको की गुणवत्ता को बनाये रखने हेतु उचित समाधान खोजने में सहायक होती हैं। कार्यक्रम में डॉ. मोना शर्मा, डाॅ. पदमावती तनेजा, डॉ. पुनीता शर्मा, निष्ठा चौधरी, दीक्षा वर्मा, यादविंद्र सिंह, साक्षी गुप्ता, भव्या भगत, प्रिंस श्रोत्रिय, होशियार सिंह, विवेक उनियाल आदि उपस्थित रहें।

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