स्वरूप पूरी/सुनील पाल
हरिद्वार – राज्य में बढ़ता तापमन वन महकमे के लिए एक बड़ा संकट ले कर आया है। प्रदेश में वनाग्नि की घटनाएं वन कर्मियों के लिए आफत बन कर सामने आ रही है। हरिद्वार में आज बुधवार को मनसा देवी की निचली पहाड़ियों में लगी आग पार्क महकमे के लिए एक बड़ा संकट ले कर सामने आई है । मनसा देवी के निकट पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाऊस के पास बांस के जंगलों में लगी आग की सूचना पर एक्टिव वन कर्मी तत्काल वहां पहुंचे । कठिन परिस्थितियों में आग बुझा रहे वनकर्मियों में एक ब्लोवर चला रहा मनोज शर्मा नाम का संविदाकर्मी पहाड़ियों से फिसल गया। फिसलते ही वह आग की चपेट में आ गया। मगर जंगल के प्रति समर्पित वन कर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डाल उसे मौके से बचा लिया। घायल व गम्भीर संविदाकर्मि को तत्काल सरकारी जीडी हॉस्पिटल ले जाया गया। मगर उच्च तकनीक के दावे करने वाले हॉस्पिटल ने कुछ नही कर सकते ,के सवालों के साथ उसे ऋषिकेश स्थित एम्स रेफर कर दिया। इसके बाद रेंज स्तर पर स्टाफ मनोज को ले कर एम्स पँहुच गया, जंहा गम्भीर अवस्था मे अब तक उसका इलाज जारी है। सबसे बड़ा सवाल है की इस कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करने के दौरान घायल होने वाले इस बहादुर संविदाकर्मी मनोज शर्मा को महकमा क्या सहारा देगा।
घटना ने उठाए कई सवाल, राज्य वन महकमा आज भी झापा मुंडी व गुड़ चने के सहारे, वन कर्मियों की सुरक्षा पर क्यों है मौन, उच्च तकनीक के इस्तेमाल का पीटा जा रहा ढिंढोरा ????
यह घटना भले ही आम लोगो के लिए छोटी हो। मगर सवाल बहुत ही गम्भीर है। आज भी फायर सीजन के दौरान सब कुछ कंट्रोल में है , फायर क्रू स्टेशन तैयार है ,उच्च तकनीक के संसाधनों की पूरी उपलब्धता है , और सभी तैयारियां पूरी है के दावे करने वाले राज्य वन महकमें के सर्वश्रेष्ठ अधिकारी क्या इस घटना की जिम्मेदारी लेंगे । उच्च टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल वाले शब्दों को बोलने वाले अधिकारी क्या धरातल की परिस्थितियों को समझते है। सच तो ये है कि आज भी तमाम दावों व अभियानों के बीच निचले स्तर के वन कर्मी ,रेंजर ,सेक्सन इंचार्ज, फारेस्ट गार्ड अपने सहायक संविदाकर्मियों के साथ महज झापा मुंडी ( पेड़ की टहनियो से बनाई गई झाड़ू नुमा ) व गुड़ चने के सहारे राज्य के वनों को बचा रहे है। सवाल महत्वपूर्ण है, मगर जवाब उच्च स्तर पर बैठे जिम्मेदारो को देना होगा।