- स्वरूप पुरी/सुनील पाल
अल्मोड़ा के बिनसर सिविल सोयम के जंगलों में लगी आग में चार वनकर्मियों की मौत के बाद प्रदेश में शोक की लहर है। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कुमाऊँ मंडल के तीन अफसरों को निलंबित कर दिया है। वन्ही इस घटना में घायल अन्य चार वनकर्मियों को एयरलिफ्ट कर दिल्ली एम्स भेजा जा रहा है। सरकार ने इस प्रकरण पर सीसीएफ नार्थ पीके पात्रों, सीएफ कुमाऊँ कोको रोसो व डीएफओ अल्मोड़ा सिविल सोयम ध्रुव सिंह मर्तोलिया को निलंबित कर दिया है।
संकट भरा रहा यह वर्ष, आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के दावों की खुली पोल
फायर सीजन के लिहाज से यह वर्ष वन महकमे के लिए संकट भरा रहा है। प्रदेश भर में 1200 से ज्यादा आगजनी की घटनाएं घटी है। वन्ही 10 लोगो ने अपनी जान भी गंवाई है। राज्य सरकार ने भी फायर सीजन के दौरान वन महकमे को कड़ी निगरानी रखने को कहा था। वन्ही फायर सीजन की शुरुआत से ही वन महकमे के आला अफसर उच्च तकनीक के इस्तेमाल के दावे कर रहे थे,मगर धरातल पर आज भी रेंज अफसर व वनकर्मी झापा मुंडी के सहारे जंगलों को बचा रहे है। फायर सीजन के दौरान फायर प्रूफ लाइफ जैकेट देने की बात कही गयी थी, मगर ये बाते सिर्फ बाते ही रह गयी। कल की घटना ने साबित किया है कि आलाफ़सर महज एसी रूम में बैठ कर जंगलों को बचा रहे थे। आखिर जो चार जाबांज वनकर्मी शहीद हुए है, उनकी शहादत का जिम्मेदार कौन है। बहरहाल सरकार ने तीन अफसरों को निलंबित कर तो दिया है, मगर सिस्टम में बैठे अन्य बागड़ बिल्लो का क्या होगा यह बड़ा सवाल है।