अफगानिस्तान में बीते रविवार यानी 31 अगस्त की रात एक शक्तिशाली भूकंप ने अफरा-तफरी मचा दी। कुनार और नंगरहार प्रांत में आए इस भूकंप की तीव्रता 6.0 मापी गई। शुरुआती जानकारी के अनुसार अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 500 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
भूकंप के प्रकोप का केंद्र
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, यह भूकंप जलालाबाद से लगभग 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तर-पूर्व की दिशा में 8 किलोमीटर की गहराई पर आया। इस भूकंप के झटके इतने प्रबल थे कि आसपास के कई इलाकों में घरों की दीवारें ढह गईं और कई घर मलबे में तब्दील हो गए।
भूस्खलन और तबाही
भूकंप के झटके के बाद भूस्खलन की घटनाएं भी सामने आईं, जिससे कई लोग मलबे में दब गए। स्थानीय प्रशासन और बचाव दल तुरंत प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे और राहत कार्य शुरू किया। नूर गल, सावकी, वातपुर, मनोगी और चापा दारा जिलों में राहत और बचाव दल ने घायल लोगों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में पहुँचाया।
भूकंप की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति
कुनार और नंगरहार प्रांत हिंदूकुश पर्वत क्षेत्र का हिस्सा हैं और यह भारतीय व यूरेशियन प्लेट्स के जंक्शन पर स्थित है। इसलिए यह क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस क्षेत्र में समय-समय पर भूगर्भीय हलचल और झटके महसूस होते रहे हैं, जिससे रहने वालों को हमेशा सतर्क रहने की जरूरत होती है।
राहत और बचाव कार्य जारी
प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में आपातकालीन टीमों को तैनात किया है। घायल लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद उच्च केंद्रों में रेफर किया जा रहा है। स्थानीय लोग भी राहत कार्यों में जुटे हैं, कई परिवारों ने अपने घरों से प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम किया।
मानवता की आपात स्थिति
भूकंप की इस तबाही में प्रभावित लोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय मदद की अपील की जा रही है। अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी को देखते हुए राहत सामग्री और मेडिकल टीमों को प्रभावित इलाकों तक पहुँचाया जा रहा है। यह भूकंप न केवल अफगानिस्तान के स्थानीय लोगों के लिए संकट का कारण बना है, बल्कि पूरे क्षेत्र में मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती भी खड़ी कर दी है। प्रशासन और राहत कार्यकर्ता लगातार लोगों की सुरक्षा और मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने के प्रयास में जुटे हैं।