उत्तराखंड में इस बार बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश ने लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। यमुनोत्री हाईवे पर हालात बेहद खराब हैं। लगातार मलबा और पत्थर गिरने से सड़क 12वें दिन भी बंद पड़ी है। हालात ऐसे हैं कि कई जगह पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है।
खरादी कस्बे में घरों और होटलों में दरारें
सबसे ज्यादा खतरा यमुनोत्री हाईवे पर बसे खरादी कस्बे में नजर आ रहा है। यहां कई घरों और होटलों की दीवारों में गहरी दरारें पड़ गई हैं। स्थानीय लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित जगहों की तलाश कर रहे हैं। लोग दहशत में हैं कि कहीं अचानक पूरी इमारत ही न ढह जाए।
बिजली और नेटवर्क ठप, लोग अलग-थलग
बारिश और भूस्खलन के चलते क्षेत्र में पिछले एक सप्ताह से बिजली और नेटवर्क की सेवाएं ठप हैं। लोग बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट गए हैं। फोन न चल पाने की वजह से परिजनों से संपर्क भी नहीं हो पा रहा है।
राहत पहुंचाने की तैयारी
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने खरसाली में हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाने की योजना बनाई है। अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान आवश्यक खाद्य सामग्री के साथ-साथ 80 लीटर डीजल भी भेजा जाएगा ताकि जनरेटर के जरिए बिजली का कुछ इंतजाम किया जा सके।
यमुना नदी का जलस्तर बना चिंता का कारण
स्याना चट्टी क्षेत्र में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ गया है। नदी का पानी मोटर पुल के ऊपर से बहने लगा था, हालांकि फिलहाल बहाव सामान्य हो चुका है। फिर भी स्थानीय लोगों में डर बना हुआ है कि कहीं अचानक जलस्तर फिर से न बढ़ जाए।
बदरीनाथ हाईवे भी बाधित
केवल यमुनोत्री ही नहीं, बल्कि बदरीनाथ हाईवे भी भारी मलबे और बोल्डर गिरने से अवरुद्ध हो गया है। गौचर-कमेडा के पास सड़क बंद है और जेसीबी मशीनों से मलबा हटाने का काम जारी है। यात्रियों और स्थानीय लोगों को फिलहाल रुकना पड़ा है।
स्थानीय लोगों की पीड़ा
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह उनके जीवन का सबसे कठिन दौर है। बिजली न होने से रातें अंधेरे में कट रही हैं, वहीं मोबाइल नेटवर्क बंद होने से परिजनों से संपर्क टूट गया है। बच्चों और बुजुर्गों को दवाइयां न मिल पाने से हालत और बिगड़ रही है।