झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बुधवार को केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 11 साल पूरे होने पर तीखा हमला बोला। पार्टी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के इन 11 वर्षों ने झारखंड के आम लोगों की समस्याओं को कम करने के बजाय और अधिक गहरा कर दिया है। झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य और प्रवक्ता डॉ. तनुज खत्री ने कहा कि यह एक दशक नहीं, बल्कि संघर्षों और अनुत्तरित सवालों की श्रृंखला रही है।
सरना धर्म कोड को लेकर केंद्र की चुप्पी पर सवाल
झामुमो ने जोर देकर कहा कि झारखंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से ‘सरना धर्म कोड’ को मान्यता देने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से आज तक कोई सार्थक कार्रवाई नहीं हुई। खत्री ने आरोप लगाया कि यह सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि आदिवासी समुदायों की अस्मिता और सम्मान के प्रति जानबूझकर किया गया अनादर है।
मणिपुर की हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अपराध पर पीएम को घेरा
डॉ. खत्री ने मणिपुर में लंबे समय से जारी हिंसा और विशेष रूप से महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों का जिक्र कर कहा कि इन घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी न केवल प्रशासनिक विफलता बल्कि नैतिक दिवालियापन को भी उजागर करती है।
‘हसदेव जंगलों में पेड़ों की कटाई से आदिवासी हितों की अनदेखी’
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल में पेड़ों की कटाई की अनुमति देकर सरकार ने पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों के प्रति अपनी असल सोच उजागर कर दी है। एक तरफ यह सरकार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु परिवर्तन की बात करती है और दूसरी ओर देश के ‘ग्रीन लंग्स’ को काट रही है। जंगल और जमीन आदिवासियों का जीवन है, जिसे यह सरकार समझने में विफल रही है।
‘परीक्षा घोटालों और नोटबंदी युवा सपनों के साथ विश्वासघात’
झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि NEET, NET और SSC जैसी परीक्षाओं में पेपर लीक अब आम हो गया है। यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के सपनों और मेहनत के साथ किया गया विश्वासघात है। नोटबंदी को लेकर भी उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस फैसले ने छोटे व्यापारियों, मजदूरों और आम लोगों को बर्बाद कर दिया। 100 से ज्यादा लोगों की जान गई, नौकरियां खत्म हो गईं और अंत में वही पुरानी मुद्रा वापस आ गई। फिर भी सरकार इसे उपलब्धि बताती है।
कृषि कानून और महिला आरक्षण पर भी उठाए सवाल
केंद्र सरकार द्वारा बिना संवाद के लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर भी झामुमो ने तीखा हमला बोला। खत्री ने कहा कि इन कानूनों के खिलाफ ऐतिहासिक किसान आंदोलन हुआ, जिसमें 700 से अधिक किसानों की मौत हुई। अंततः सरकार को उन्हें वापस लेना पड़ा, यह जनता के विश्वास के साथ धोखा था। महिला आरक्षण बिल को लेकर उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने चुनावी रणनीति के तहत बड़ा एलान किया, लेकिन लागू करने को 2029 के बाद तक टाल दिया जो यह साबित करता है कि यह सिर्फ दिखावा था।
महंगाई और संस्थागत दुरुपयोग पर भी जताई नाराजगी
डॉ. खत्री ने कहा कि महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। दाल, सब्जी और दूध जैसी जरूरी चीजें आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गई हैं, जबकि सरकार तेज आर्थिक विकास की बात करती है। साथ ही उन्होंने सीबीआई और ईडी जैसी संस्थाओं के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया, जिन्हें विपक्ष को परेशान करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
‘संविधान की आत्मा को कुचला गया’
झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि संसद अब संवाद और सहमति के बजाय निर्देशों पर चलती है। संविधान की आत्मा संवाद और समावेशिता को बार-बार कुचला गया है। उन्होंने कहा कि देश अब एक चौराहे पर खड़ा है, जहां उसे तय करना है कि वह खोखले प्रचार में उलझा रहेगा या सच्चाई का सामना कर आगे बढ़ेगा।
‘नारे नहीं, न्याय चाहिए’
खत्री ने अंत में कहा कि झारखंड अब नारे नहीं, न्याय मांग रहा है। जल, जंगल, जमीन और पहचान की लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है और झारखंड की जनता अब अपने अधिकारों के लिए निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार है।