उत्तराखंड में इन दिनों सरकारी राशन वितरण प्रणाली सवालों के घेरे में है। “मुख्यमंत्री नमक पोषण योजना” के तहत गरीब परिवारों को सस्ते दाम पर उपलब्ध कराए जा रहे नमक की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। कई जिलों से उपभोक्ताओं ने शिकायतें की हैं कि उन्हें जो नमक मिल रहा है उसमें रेत और धूल मिली हुई है।
वायरल वीडियो से शुरू हुआ विवाद
कुछ दिन पहले रुद्रप्रयाग जिले की एक महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। महिला ने दावा किया कि उसे सरकारी सस्ते गल्ले से जो नमक मिला है, उसमें रेत भरी हुई है। उसने नमक को पानी में घोलकर मिलावट सभी को दिखा दी। देखते ही देखते यह वीडियो पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया और उपभोक्ताओं ने भी इसी तरह की शिकायतें करनी शुरू कर दीं।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद छापेमारी
मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को तुरंत जांच के निर्देश दिए। इसके बाद पूरे राज्य में छापेमारी शुरू हुई।
- रुद्रप्रयाग: एसडीएम याक्षी अरोड़ा के नेतृत्व में अगस्त्यमुनि और सिली बाजार की 5 दुकानों से नमक के पैकेट जब्त कर जांच के लिए भेजे गए।
- देहरादून: जिलाधिकारी सविन बंसल के आदेश पर सदर, मसूरी, डोईवाला, विकासनगर, चकराता और ऋषिकेश की 19 दुकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। टीमों ने नमूनों को सील कर खाद्य सुरक्षा अधिकारी को सौंपा।
डीएम बंसल ने कहा, “रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी। किसी भी स्थिति में उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
विभाग का दावा – नमक मानकों के अनुरूप
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने इन आरोपों को निराधार बताया है। विभाग का कहना है कि नमक की आपूर्ति भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (NCCF) कर रही है और इसकी गुणवत्ता की जांच पहले ही कई राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशालाओं से कराई गई है।
- रक्षा खाद्य एवं अनुसंधान प्रयोगशाला, मैसूर और आईटीसी NABL लैब्स ने नमक को एफएसएसएआई मानकों के अनुरूप पाया।
- रुद्रपुर की राज्य खाद्य एवं औषधि प्रयोगशाला ने भी नमक को अच्छी गुणवत्ता वाला बताया था।
लोगों में आक्रोश और चिंता
फिलहाल नमक के ताजा सैंपल्स जांच के लिए भेजे गए हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने पहले ही बड़ी बहस छेड़ दी है। उपभोक्ता सवाल कर रहे हैं कि अगर नमक की गुणवत्ता सही है तो फिर दुकानों से रेत और धूल वाला नमक क्यों निकल रहा है? वहीं कई लोग इसे सरकारी योजनाओं पर लोगों के विश्वास को तोड़ने वाली बड़ी चूक बता रहे हैं। अब सभी की निगाहें नमक की लैब रिपोर्ट पर टिकी हैं। यदि जांच में मिलावट साबित होती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई तय है। फिलहाल सरकार ने साफ किया है कि किसी भी कीमत पर गरीब उपभोक्ताओं को घटिया गुणवत्ता का सामान उपलब्ध नहीं कराया जाएगा।