महिला समूहों के उत्पादों को मिलेगा統एकीकृत ब्रांड, बढ़ेगी बिक्री: सुदिव्य कुमार

झारखंड सरकार ने हाल ही में  एक अहम फैसला लिया है। रांची के जाने-माने डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम अब बदल दिया गया है। अब इस विश्वविद्यालय को वीर बुद्धू भगत विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाएगा।

इस नाम बदलने की मांग को लेकर कई छात्र संगठन लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। अब सरकार के इस फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल पड़ा है। कई राजनीतिक दल इस फैसले पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

बाबूलाल मरांडी ने जताई नाराजगी

झारखंड सरकार ने डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलकर अब इसे वीर बुद्धू भगत विश्वविद्यालय कर दिया है। सरकार के इस फैसले पर बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा कि यह फैसला एक गलत परंपरा की शुरुआत करता है। न तो यह निर्णय श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सम्मान में है, और न ही यह वीर बुद्धू भगत के बलिदान को सही सम्मान देता है। मरांडी ने कहा कि अगर सरकार सच में वीर बुद्धू भगत को सम्मान देना चाहती थी, तो उनके नाम से नया विश्वविद्यालय बनाना चाहिए था। उन्होंने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।

सुदिव्य कुमार सोनू ने कही ये बात

दूसरी ओर, झारखंड सरकार में मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने इस फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वीर बुद्धू भगत को उचित सम्मान दिया है। वीर बुधू भगत ने 1832 में अंग्रेजों के खिलाफ बलिदान दिया था, जो 1857 से पहले का स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है। मंत्री ने कहा कि झारखंड को अपने वीरों का सम्मान जरूर करना चाहिए। उन्होंने बाबूलाल मरांडी की आलोचना करते हुए कहा कि जिन लोगों ने राज्य के लिए बलिदान दिया है, उनके नाम पर संस्थानों का नाम रखना बिल्कुल सही है।

‘झारखंड के जनभावनाओं का ख्याल हेमंत सरकार ने रखा’

झारखंड सरकार द्वारा डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलकर वीर बुद्धू भगत विश्वविद्यालय रखने के फैसले को लेकर राज्य की कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला झारखंड की जनभावनाओं का सम्मान है।

शिल्पी ने बताया कि उन्होंने साल 2024 के शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में शून्यकाल के समय यह मांग रखी थी कि किसी आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखा जाए। सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय कोल विद्रोह के नायक वीर बुद्धू भगत को सच्चा सम्मान देने वाला है। उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी समाज की यह पुरानी मांग थी, जिसे सरकार ने समझा और पूरा किया। यह कदम आदिवासी गौरव और राज्य के आत्मसम्मान को बढ़ाने वाला है।

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