खटीमा गोलीकांड की बरसी पर राज्य आंदोलनकारियों को पहचान पत्र और सरकारी सेवा में नियुक्ति

उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान हुए खटीमा गोलीकांड की बरसी सोमवार को आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद हुए आंदोलनकारियों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलन के ये अमर सपूत हमेशा उत्तराखंड के नागरिकों के हृदय में जीवित रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “आज हम उन वीर शहीदों भगवान सिंह सिरौला, प्रताप सिंह, रामपाल, सलीम अहमद, गोपीचंद, धर्मानन्द भट्ट और परमजीत सिंह को याद कर रहे हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष किया। उनका साहस और बलिदान हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा।”

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के प्रति उत्तराखंड का ऋण कभी नहीं चुकाया जा सकता। “हमारे पूर्वजों और आंदोलनकारियों की कुर्बानी ही आज हमें अपना राज्य और अधिकार देती है। उनके आदर्शों और सपनों को साकार करना ही हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।”

सीएम ने आगे कहा कि सरकार राज्य आंदोलनकारियों के कल्याण और पहचान के लिए लगातार प्रयास कर रही है। “आज चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों को पहचान पत्र जारी किए गए हैं। साथ ही 93 आंदोलनकारियों को राजकीय सेवा में नियुक्त किया गया है। इसके अलावा आंदोलनकारियों को सरकारी बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है।”

मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से महिलाओं की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन में मातृशक्ति की भागीदारी प्रेरणादायक रही। “राज्य निर्माण में महिलाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसे देखते हुए ही सरकार ने महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लागू किया है।”

श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ राज्य प्रशासन, स्थानीय अधिकारी, परिवारजन और आंदोलन से जुड़े लोग उपस्थित रहे। सभी ने शहीदों को एक मिनट का मौन श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके बलिदान को याद किया।

कार्यक्रम का भावपूर्ण माहौल हर किसी के मन को छू गया। उपस्थित लोगों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल शहीदों की याद दिलाते हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को उनके आदर्शों और संघर्ष की प्रेरणा भी देते हैं।

इस प्रकार, खटीमा गोलीकांड की बरसी पर मुख्यमंत्री धामी की मौजूदगी और उनके द्वारा आंदोलनकारियों तथा उनके आश्रितों को सम्मान देने से इस दिन की गरिमा और संवेदनशीलता और भी बढ़ गई।

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