झारखंड उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा दायर हलफनामे पर जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। ईडी ने कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।
यह एफआईआर मुख्यमंत्री सोरेन ने जनवरी 2023 में दिल्ली और रांची स्थित उनके आवासों पर ईडी की छापेमारी के खिलाफ दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई आदिवासी समुदाय को अपमानित करने के उद्देश्य से की गई थी।
एफआईआर में ईडी के अतिरिक्त निदेशक कपिल राज, सहायक निदेशक देवरत झा, अनुमान कुमार, अमन पटेल और कुछ अज्ञात अधिकारियों के नाम शामिल हैं। सोरेन ने अपने हलफनामे में कहा कि इस कार्रवाई से उन्हें और उनके परिवार को मानसिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक क्षति हुई है।
सोरेन के अनुसार, ईडी की कार्रवाई अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने, डराने या गलत धाराओं में फंसाने के इरादे से की गई। वहीं, ईडी अधिकारियों ने एफआईआर और नोटिस को चुनौती देते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।