उत्तराखंड सरकार ने गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए “मुख्यमंत्री नमक पोषण योजना” शुरू की थी, जिसके तहत प्रदेश भर में राशन कार्ड धारकों को हर महीने सस्ती दरों पर आयोडीन युक्त नमक उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य परिवारों को पोषण और राहत देना था। लेकिन हाल ही में इस योजना की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सोशल मीडिया से शुरू हुआ विवाद
दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ। इसमें एक महिला ने सरकारी गल्ले की दुकान से मिले नमक को पानी में घोलकर दिखाया, जिसमें रेत जैसी गंदगी नजर आई। इस वीडियो के सामने आने के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया और मिलावट के आरोप जोर पकड़ने लगे।
सीएम धामी के कड़े निर्देश
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत अधिकारियों को जांच के आदेश दिए। देहरादून सचिवालय में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में सीएम ने कहा कि “जनता के स्वास्थ्य से समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। दोषी पाए जाने पर किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि पारदर्शी और सुरक्षित व्यवस्था सरकार की प्राथमिकता है।
छापेमारी और सैंपल जांच
सीएम के आदेश के बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया है। विभिन्न जिलों में खाद्य विभाग और प्रशासन की टीमें सक्रिय हो गई हैं। देहरादून, रुद्रप्रयाग समेत कई जिलों में छापेमारी की गई और दुकानों से नमक के पैकेट सील कर लैब टेस्ट के लिए भेजे गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद ही दोषियों की पहचान हो सकेगी और कार्रवाई सुनिश्चित होगी।
सरकार की सख्ती और सेवा पखवाड़ा
सीएम धामी ने बैठक में यह भी बताया कि 17 सितंबर (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन) से लेकर 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) तक सेवा पखवाड़ा चलाया जाएगा। इस दौरान प्रदेशभर में जनजागरूकता और सेवा से जुड़े कार्यक्रम आयोजित होंगे। साथ ही सीएम ने सड़कों की हालत सुधारने, रात में पुलिस गश्त बढ़ाने और संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी निगरानी की भी समीक्षा की।
जनता की चिंता और सरकार का आश्वासन
नमक मिलावट मामले ने आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है। ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के उपभोक्ता अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाला राशन भरोसेमंद है। वहीं, सीएम धामी ने जनता को आश्वासन दिया है कि “हर दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी और राज्य में किसी भी योजना को बदनाम नहीं होने दिया जाएगा।”