देवभूमि के विकास पर CM धामी: सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी अहम

सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क और संचार सुविधाओं के लिए केंद्र से सहयोग मांगा: सीएम धामी

वाराणसी – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को वाराणसी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित 25वीं मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क, संचार और सुरक्षा सुविधाओं के विस्तार की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्रों की सामरिक महत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार से विशेष सहयोग अपेक्षित है।

मुख्यमंत्री ने भारत नेट योजना, 4-जी नेटवर्क विस्तार और सैटेलाइट आधारित संचार सेवाओं की शुरुआत की आवश्यकता जताई, ताकि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम को मजबूती मिल सके और पलायन पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने सीमा सड़क संगठन के माध्यम से अधिक सहायता देने का भी अनुरोध किया।

धामी ने बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्रीय अनुदान की एकमुश्त राशि जारी करने, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में अतिरिक्त सहयोग, उच्चस्तरीय ग्लेशियर अध्ययन केंद्र और जैव विविधता संरक्षण संस्थान की स्थापना में तकनीकी सहयोग की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य में साहसिक खेलों के प्रशिक्षण के लिए भी संस्थान स्थापित किए जाने चाहिए।

नंदा राजजात और अर्द्ध कुंभ के लिए केंद्र से सहयोग की मांग

सीएम ने वर्ष 2026 में प्रस्तावित नंदा राजजात यात्रा और 2027 में हरिद्वार में होने वाले अर्द्ध कुंभ मेले के सफल आयोजन के लिए केंद्र से सहायता देने की अपील की।

विपरीत परिस्थितियों में डेढ़ गुना बढ़ी राज्य की अर्थव्यवस्था

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में पिछले वर्षों के दौरान लगभग डेढ़ गुना की वृद्धि हुई है। राज्य का 71% क्षेत्र वनाच्छादित और 80% भूभाग पर्वतीय है, जिससे विकास की चुनौतियाँ और बढ़ जाती हैं।

सुशासन में अग्रणी राज्य बना उत्तराखंड

सीएम धामी ने बताया कि नीति आयोग की 2023-24 की एसडीजी रैंकिंग में उत्तराखंड ने देश में पहला स्थान हासिल किया, जबकि केयर एज रेटिंग की रिपोर्ट में छोटे राज्यों की श्रेणी में उत्तराखंड को सुशासन और वित्तीय प्रबंधन में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।

उन्होंने बताया कि समान नागरिक संहिता, नकल विरोधी कानून, धर्मांतरण और दंगारोधी कानून तथा भू-कानून जैसे कठोर प्रावधानों के माध्यम से उत्तराखंड को सुरक्षित और समरस राज्य बनाने की दिशा में कार्य किया गया है। राज्य को आयुष और वेलनेस हब के रूप में विकसित किया जा रहा है, साथ ही देश की पहली योग नीति भी यहीं लागू की गई है। उत्तराखंड में दो आध्यात्मिक आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना का निर्णय भी लिया गया है।

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