सराज क्षेत्र में आपदा राहत कार्य तेज, सेना ने संभाला मोर्चा, गृह मंत्री ने जयराम ठाकुर से की बातचीत
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज क्षेत्र में आपदा प्रभावितों की मदद के लिए अब भारतीय सेना भी सक्रिय हो गई है। शुक्रवार को सेना की एक टुकड़ी सराज पहुंची और पहले ही दिन दुर्गम क्षेत्रों में फंसे लोगों तक राशन व आवश्यक सामग्री पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया।
सेना की मौजूदगी से राहत कार्यों में तेजी
अब तक एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें बीते पांच दिनों से राहत व बचाव कार्य में जुटी थीं, लेकिन सेना के आने से इस काम में और गति आने की उम्मीद है। वायु सेना के हेलीकॉप्टर से जिला मुख्यालय से जंजैहली के खनुखली हेलिपैड के लिए राहत सामग्री भेजी गई। पहली उड़ान में 40 राशन किट, 20 तिरपालें, 120 पानी की बोतलें, दवाइयों के दो बॉक्स और कपड़ों के दो बॉक्स भेजे गए। हालांकि खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर को जंजैहली के बजाय रैणगलू में उतारना पड़ा।
केंद्र सरकार भी सक्रिय, गृह मंत्री की जयराम ठाकुर से बात
केंद्र सरकार भी आपदा को लेकर पूरी तरह सतर्क है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर से फोन पर बात कर प्रभावितों को हरसंभव सहायता दिलाने का आश्वासन दिया है।
17 लोगों की पुष्टि, 56 अब भी लापता
शुक्रवार को रेस्क्यू टीम को स्यांज निवासी पार्वती देवी का शव मिला, जिससे मृतकों की संख्या अब 17 हो गई है। हालांकि सरकारी आंकड़ों में अभी 15 मौतों की पुष्टि की गई है। सराज, थुनाग और स्यांज सहित अन्य इलाकों से 56 लोग अब भी लापता हैं जिनकी तलाश जारी है।
सड़कें और बिजली व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित
जिले में दो राष्ट्रीय राजमार्ग समेत कुल 156 सड़कें अब भी बंद हैं, जिनमें सबसे अधिक 41 सड़कें सराज क्षेत्र में प्रभावित हैं। बिजली व्यवस्था भी ठप है – 306 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं, जिससे कई गांवों में अंधेरा छाया हुआ है। गोहर उपमंडल में अब तक सात लाख रुपये की राहत राशि वितरित की जा चुकी है।
रेड अलर्ट जारी, लोगों से सतर्कता बरतने की अपील
मौसम विभाग शिमला द्वारा 6 जुलाई दोपहर से 7 जुलाई दोपहर तक मंडी जिले के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। विभाग ने 9 जुलाई तक भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने लोगों से अपील की है कि वे अत्यंत सावधानी बरतें और अनावश्यक रूप से नदियों, नालों या भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की ओर न जाएं।