76 साल की उम्र में मिली बड़ी राहत, अरुण गवली के समर्थकों ने किया जोरदार स्वागत

मुंबई के कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन और बाद में राजनीति का रास्ता चुनने वाले अरुण गवली (Arun Gawli) आखिरकार 17 साल बाद जेल की सलाखों से बाहर आ गए हैं। नागपुर सेंट्रल जेल से बुधवार दोपहर करीब 12:30 बजे उनकी रिहाई हुई। इस दौरान जेल के बाहर परिवार और समर्थक उनकी एक झलक पाने के लिए घंटों से इंतजार कर रहे थे। जैसे ही गवली बाहर आए, फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया गया और समर्थकों ने खुशी का इजहार किया।

सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

अरुण गवली को शिवसेना के कॉर्पोरेटर कमलाकर जमसांडेकर की हत्या (2007) के मामले में दोषी ठहराया गया था।

  • ट्रायल कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट दोनों ने ही उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
  • इस फैसले को गवली ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
  • लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर कर दी

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी लंबी अवधि के बाद मिली राहत गवली के लिए किसी दूसरी जिंदगी की शुरुआत हो सकती है।

2012 में आया था बड़ा फैसला

  • साल 2012 में महाराष्ट्र की ट्रायल कोर्ट ने गवली को मर्डर केस में दोषी करार दिया।
  • अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई और 17 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
  • तब से वे लगातार नागपुर जेल में सजा काट रहे थे।

डॉन से नेता तक का सफर

अरुण गवली का नाम 80 और 90 के दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड का जाना-पहचाना नाम था। उन्हें लोग “डैडी” कहकर भी बुलाते थे।

  • धीरे-धीरे उन्होंने अपराध की दुनिया से निकलकर राजनीति में कदम रखा।
  • 2004 से 2009 तक वे महाराष्ट्र की चिंचपोकली विधानसभा सीट से विधायक भी रहे।
  • हालांकि राजनीति में उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं हो पाई जितनी अंडरवर्ल्ड में थी।

रिहाई के बाद परिवार में खुशी

जेल से बाहर निकलने के बाद अरुण गवली को देखकर उनके परिवार की आंखों में आंसू आ गए।

  • उनकी बेटी गीता गवली, जो राजनीति में भी सक्रिय हैं, ने कहा कि “पिता के बिना घर अधूरा था, अब परिवार पूरा हो गया है।”
  • समर्थकों ने ढोल-नगाड़ों और नारों के साथ उनका स्वागत किया।

समाज में चर्चाओं का दौर

गवली की रिहाई के बाद सोशल और राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।

  • कुछ लोग इसे कानून की जीत मान रहे हैं।
  • वहीं कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या इतने गंभीर मामले में इतनी राहत मिलना सही है।

76 साल की उम्र में जेल से बाहर आए अरुण गवली का भविष्य क्या होगा, क्या वे फिर से राजनीति में सक्रिय होंगे या सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाएंगे, यह आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि उनकी रिहाई ने मुंबई के पुराने अंडरवर्ल्ड और राजनीति की यादों को एक बार फिर ताजा कर दिया है।

मुंबई के कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन और बाद में राजनीति का रास्ता चुनने वाले अरुण गवली (Arun Gawli) आखिरकार 17 साल बाद जेल की सलाखों से बाहर आ गए हैं। नागपुर सेंट्रल जेल से बुधवार दोपहर करीब 12:30 बजे उनकी रिहाई हुई। इस दौरान जेल के बाहर परिवार और समर्थक उनकी एक झलक पाने के लिए घंटों से इंतजार कर रहे थे। जैसे ही गवली बाहर आए, फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया गया और समर्थकों ने खुशी का इजहार किया।

सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

अरुण गवली को शिवसेना के कॉर्पोरेटर कमलाकर जमसांडेकर की हत्या (2007) के मामले में दोषी ठहराया गया था।

  • ट्रायल कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट दोनों ने ही उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
  • इस फैसले को गवली ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
  • लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर कर दी

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी लंबी अवधि के बाद मिली राहत गवली के लिए किसी दूसरी जिंदगी की शुरुआत हो सकती है।

2012 में आया था बड़ा फैसला

  • साल 2012 में महाराष्ट्र की ट्रायल कोर्ट ने गवली को मर्डर केस में दोषी करार दिया।
  • अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई और 17 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
  • तब से वे लगातार नागपुर जेल में सजा काट रहे थे।

डॉन से नेता तक का सफर

अरुण गवली का नाम 80 और 90 के दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड का जाना-पहचाना नाम था। उन्हें लोग “डैडी” कहकर भी बुलाते थे।

  • धीरे-धीरे उन्होंने अपराध की दुनिया से निकलकर राजनीति में कदम रखा।
  • 2004 से 2009 तक वे महाराष्ट्र की चिंचपोकली विधानसभा सीट से विधायक भी रहे।
  • हालांकि राजनीति में उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं हो पाई जितनी अंडरवर्ल्ड में थी।

रिहाई के बाद परिवार में खुशी

जेल से बाहर निकलने के बाद अरुण गवली को देखकर उनके परिवार की आंखों में आंसू आ गए।

  • उनकी बेटी गीता गवली, जो राजनीति में भी सक्रिय हैं, ने कहा कि “पिता के बिना घर अधूरा था, अब परिवार पूरा हो गया है।”
  • समर्थकों ने ढोल-नगाड़ों और नारों के साथ उनका स्वागत किया।

समाज में चर्चाओं का दौर

गवली की रिहाई के बाद सोशल और राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।

  • कुछ लोग इसे कानून की जीत मान रहे हैं।
  • वहीं कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या इतने गंभीर मामले में इतनी राहत मिलना सही है।

76 साल की उम्र में जेल से बाहर आए अरुण गवली का भविष्य क्या होगा, क्या वे फिर से राजनीति में सक्रिय होंगे या सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाएंगे, यह आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि उनकी रिहाई ने मुंबई के पुराने अंडरवर्ल्ड और राजनीति की यादों को एक बार फिर ताजा कर दिया है।

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