रा धा स्व आ मी सत्संग सभा दयालबाग आगरा के यमुना नदी को साफ करने के प्रयासों पर सुप्रीम कोर्ट की- सुप्रीम मोहर

ज्योति एस, दिल्ली। आगरा से होकर गुजर रही पवित्र नदी यमुना की अविरलता निर्मलता और स्वच्छता को लेकर रा धा स्व आ मी सतसंग सभा दयालबाग आगरा के पवित्र प्रयासों पर देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी सुप्रीम मोहर लगा दी है। सोमवार को दिए अपने एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आगरा में यमुना नदी बेहद गंदी है और उसकी सफाई की सख्त आ सकता है। रा धा स्व आ मी सतसंग दयालबाग आगरा पहले से यह बात कहता आ रहा है और इसकी आवश्यकता जताते हुए उसने पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए अपने एकल प्रयासों से नदी की सफाई का काम आरंभ किया। उसे वक्त उसके इस प्रयासों का समाज विरोधी तबके और उनके बहकावे में आकर आगरा जिला प्रशासन ने न सिर्फ विरोध किया बल्कि अतिक्रमण और कब्जे के प्रयासों का बेबुनियाद आरोप लगाते हुए उसे रोकने की असफल चेष्टा भी की। पर, सुप्रीम कोर्ट के सोमवार के फैसले ने यह साबित कह दिया की सत्संग सभा सही थी और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बेहतर और अच्छा प्रयास कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में सोमवार को आगरा से होकर गुजर रही यमुना नदी की सिल्ट और गंदगी को साफ करने के सख्त आदेश दिए हैं। रा धा स्व आ मी सतसंग सभा दयालबाग आगरा एक वर्ष से अधिक समय से यमुना की सफाई के लिए कृत संकल्प है और सतसंग सभा के साधक अपने आचार्य डा. प्रेम सरन सत्संगी साहब के निर्देशन-नेतृत्व में निस्वार्थ भाव से यमुना की गंदगी की को साफ करने में लगे हुए हैं। उनके इस पवित्र प्रयासों को रोकने, उन्हें हतोत्साहित करने के कई प्रयास किए गए पर उन्होंने अपने इस पवित्र कार्य को नहीं छोड़ा और लगातार लग रहे। आरोप लगाए गए कि यह लोग यहां पर कब्जा करने की नीयत से यह कार्य कर रहे हैं, यमुना को सफाई की कोई आवश्यकता नहीं है। पर, आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि आगरा से होकर गुजर रही यमुना नदी बेतरह गंदी है और इस सफाई की सख्त आवश्यकता है।

इन्हीं के मद्देनजर ताजनगरी के लिए सोमवार राहत का संदेश लेकर आया। यमुना, ताजमहल के विजन डाक्यूमेंट और हेरिटेज सिटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और प्रदेश सरकार के साथ संबंधित विभागों से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने आगरा से गुजरने वाली यमुना नदी की सफाई के निर्देश के साथ नदी में जमा गाद, कीचड़ व अन्य प्रकार की गंदगी को भी तुरंत हटाने को कहा। इन मामलों में अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं उज्ज्वल भुआने की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यमुना में 5-6 मीटर गहराई तक जमा गाद व कीचड़ को हटाया जाये। नदी की तलहटी को उसकी स्वाभाविक स्थिति में लाया जाये। यह कार्य नियमित रूप से हो। जरूरी हो तो किसी विशेषज्ञ की मदद और सहायता ली जाए। कोर्ट ने यह तय करने के निर्देश भी दिए। साथ ही जानना चाहा कि पहले भी कभी यमुना की डीसिल्टिंग की गई है, या नहीं। इसमें कोई आपत्ति नहीं हो। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र के साथ प्रदेश सरकार एवं आगरा विकास प्राधिकरण शपथ पत्र पेश करें कि यमुना सफाई की जिम्मेदारी किसकी है।इसकी पड़ताल करा ली जाए कि ड्रेजिंग व डीसिल्टिंग का पर्यावरण तथा यमुना किनारे स्थित स्मारकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

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