यमुनोत्री हाईवे में आपदा के बाद से कई जगहों पर मार्ग बंद होने के कारण स्थानीय लोगों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर पर्वतीय और दुर्गम इलाकों में जीवन और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के मामले बढ़ गए हैं।
खरसाली गांव में आपात स्थिति
यमुनोत्री हाईवे 17 दिनों से बंद है। इसी बीच खरसाली गांव में रहने वाली 19 वर्षीय गर्भवती महिला रितिका की तबीयत अचानक बिगड़ गई। महिला को तेज दर्द और जटिलताओं का सामना करना पड़ा। जानकीचट्टी चिकित्सा प्रभारी डॉ. हरदेव सिंह पंवार ने बताया कि रितिका की स्वास्थ्य स्थिति देखते हुए जिला प्रशासन ने तुरंत हेलीकॉप्टर सेवा का इंतजाम किया। महिला को एम्स ऋषिकेश भेजा गया, जहां उनका इलाज सुरक्षित वातावरण में किया जा सके।
हेलीकॉप्टर सेवा से राहत
डॉ. पंवार ने कहा कि सड़क मार्ग बंद होने की वजह से हेलीकॉप्टर सेवा ही एकमात्र सुरक्षित और त्वरित उपाय था। यह सेवा प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से संभव हो सकी। स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन की तत्परता की सराहना की, लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी कि लंबी अवधि तक हाईवे बंद रहने से ऐसे संकट और बढ़ सकते हैं।
आपदा प्रबंधन की चुनौतियां
उत्तरकाशी और यमुनोत्री मार्ग के बंद होने से केवल गर्भवती महिलाओं ही नहीं, बल्कि बुजुर्ग, बीमार और छात्रों के लिए भी यात्रा करना मुश्किल हो गया है। प्रशासन लगातार मार्ग की मरम्मत और वैकल्पिक व्यवस्था के लिए कार्य कर रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हेलीकॉप्टर की नियमित उपलब्धता जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसे संकट में त्वरित राहत मिल सके। इस घटना ने एक बार फिर यह बात उजागर कर दी कि पर्वतीय इलाकों में सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास कितना अहम है। प्रशासन को ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए पहले से ही सुरक्षित और त्वरित योजना बनानी होगी।