उत्तराखंड में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने राज्य के विकास और जीवनयापन पर गहरा असर डाला है। विभिन्न जिलों में भारी बारिश, भूस्खलन और तेज हवाओं के कारण सड़कें, पुल, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और अन्य सरकारी संरचनाएँ क्षतिग्रस्त हुई हैं। प्रारंभिक आकलन के अनुसार राज्य को कुल 5700 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
विभागवार नुकसान का आंकलन
विशेष रूप से लोक निर्माण विभाग (PWD) को सबसे अधिक क्षति हुई है। विभागीय परिसंपत्तियों का नुकसान लगभग 1164 करोड़ रुपये बताया गया है। इसके अलावा अन्य विभागों को भी भारी नुकसान हुआ है:
- सिंचाई विभाग: 266.65 करोड़
- ऊर्जा विभाग: 123.17 करोड़
- स्वास्थ्य विभाग: 4.57 करोड़
- विद्यालयी शिक्षा विभाग: 68.28 करोड़
- उच्च शिक्षा विभाग: 9.04 करोड़
- मत्स्य विभाग: 2.55 करोड़
- ग्राम्य विकास विभाग: 65.50 करोड़
- शहरी विकास विभाग: 4 करोड़
- पशुपालन विभाग: 23.06 करोड़
- अन्य विभागीय परिसंपत्तियाँ: 213.46 करोड़
इस तरह कुल लगभग 1944.15 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष नुकसान हुआ है।
धामी सरकार का कदम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संकट की गंभीरता को देखते हुए प्रभावित विभागों की रिपोर्ट तैयार कर गृह मंत्रालय को भेजी है और आर्थिक पैकेज की मांग की है। सरकार का उद्देश्य न केवल क्षतिग्रस्त संरचनाओं को शीघ्र पुनर्निर्मित करना है, बल्कि भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर तैयारी करना भी है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि “प्रदेशवासियों की सुरक्षा और प्रभावित क्षेत्रों के शीघ्र पुनर्निर्माण के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। राज्य सरकार गृह मंत्रालय से आर्थिक मदद प्राप्त कर राहत और पुनर्निर्माण कार्यों को तुरंत गति देने की कोशिश करेगी।”
जनता और प्रशासन का सहयोग
स्थानीय प्रशासन प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों में जुटा हुआ है। लोगों से भी अपील की गई है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और आवश्यक सावधानियां बरतें। मौसम विभाग की चेतावनियों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने लगातार राहत कार्यों की निगरानी सुनिश्चित की है। इस प्रकार, प्राकृतिक आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार का ध्यान न केवल तत्काल राहत पर है बल्कि दीर्घकालिक पुनर्निर्माण और भविष्य के आपदा प्रबंधन की तैयारी पर भी है।