उत्तराखंड में इस बार का मानसून प्रदेश के लिए कई चुनौतियां लेकर आया। भारी बारिश और लगातार हो रहे भूस्खलन ने जहां सड़कों को जगह-जगह बाधित किया, वहीं पुलों को भी भारी नुकसान पहुंचा। कई जगहों पर पुल बह गए तो कहीं पानी का तेज बहाव उनके लिए खतरा बन गया। अब जैसे-जैसे मानसून अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है, सरकार ने पुलों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने का फैसला लिया है।
PWD करेगा प्रदेशभर में सुरक्षा जांच
लोक निर्माण विभाग (PWD) ने तय किया है कि मानसून खत्म होते ही पूरे प्रदेश में पुलों का सुरक्षा ऑडिट कराया जाएगा। विभाग के सचिव पंकज पाण्डेय ने जानकारी दी कि वर्तमान में कोई भी पुल जर्जर हालत में नहीं है। जहां-जहां बारिश के कारण पुल क्षतिग्रस्त या वॉशआउट हुए हैं, वहां वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर वैली ब्रिज तैयार किए गए हैं, ताकि लोगों को आवागमन में परेशानी न हो।
भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी
सचिव पंकज पाण्डेय ने बताया कि मानसून समाप्त होने के बाद विभाग की तकनीकी टीमें मौके पर जाकर पुलों की जांच करेंगी। इस दौरान उनकी मजबूती, संरचना और सुरक्षा से जुड़ी स्थिति का आकलन किया जाएगा। रिपोर्ट तैयार होने के बाद जरूरत पड़ने पर पुलों की मरम्मत और मजबूती के लिए विशेष योजना बनाई जाएगी।
स्थानीय लोगों को मिलेगी राहत
प्रदेश के लोगों के लिए यह कदम बेहद महत्वपूर्ण है। पहाड़ी इलाकों में पुल ही जीवन रेखा माने जाते हैं क्योंकि यही गांव-गांव और शहरों को जोड़ने का माध्यम होते हैं। मानसून के दौरान जब ये क्षतिग्रस्त होते हैं तो लोगों को घंटों का सफर तय करना पड़ता है। ऐसे में ऑडिट से न सिर्फ मौजूदा खतरे का समाधान होगा बल्कि आने वाले सालों के लिए सुरक्षित और मजबूत पुल बनाने की दिशा भी तय होगी।
सुरक्षित यात्रा की उम्मीद
प्रदेशवासियों को उम्मीद है कि इस फैसले से भविष्य में मानसून जैसी प्राकृतिक चुनौतियों का सामना करने में प्रदेश और अधिक सक्षम बनेगा। सरकार और विभाग के इस कदम से लोगों को सुरक्षित और निर्बाध यात्रा का भरोसा भी मिलेगा।