हिमाचल में बिजली का गहराया संकट: उत्पादन में 650 मेगावाट तक की कमी, खरीदकर पूरी हो रही जरूरतें

शिमला – हिमाचल प्रदेश में पिछले दो दिनों से हो रही भीषण बारिश के कारण राज्य की जलविद्युत परियोजनाओं को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। सबसे बड़ी परियोजना नाथपा झाखड़ी (1500 मेगावाट) के बंद होने से उत्तर भारत में बिजली संकट गहराता जा रहा है।

राज्य में भारी वर्षा के चलते जलविद्युत परियोजनाओं में अचानक भारी मात्रा में गाद (silt) जमा हो गई है, जिससे उत्पादन में लगभग 650 मेगावाट की कमी आई है। हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड (HPSEBL) के अनुसार, यह स्थिति भविष्य में भी जारी रह सकती है क्योंकि वर्षा का सिलसिला रुक नहीं रहा है।

रियल-टाइम मार्केट में बिजली की कमी

बिजली की कमी को पूरा करने के लिए राज्य को रियल-टाइम मार्केट से बिजली खरीदनी पड़ी, लेकिन मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर बना रहा। 1500 मेगावाट की बोली के मुकाबले केवल 100–200 मेगावाट ही मंजूर हुए और कुल मिलाकर सिर्फ 9.06 लाख यूनिट बिजली ही मिल पाई।

इस कारण HPSEBL को ग्रिड से लगभग 700 मेगावाट (12.47 लाख यूनिट) अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ी। इससे ग्रिड की फ्रीक्वेंसी प्रभावित हुई और तकनीकी खतरा उत्पन्न हो गया।

लोड शेडिंग और ओवरड्रॉल की स्थिति

बिजली संकट को नियंत्रित करने के लिए राज्य लोड डिस्पैच सेंटर (SLDC) और उत्तरी क्षेत्रीय ग्रिड अधिकारियों के निर्देश पर विभिन्न सबस्टेशनों पर लोड शेडिंग लागू की गई है। इसके बावजूद 250–350 मेगावाट का ओवरड्रॉल जारी रहा, जिससे 21 जुलाई को 16.05 लाख यूनिट नेट ओवरड्रॉल दर्ज किया गया।

हालांकि आधी रात के बाद स्थिति सामान्य होने लगी और ग्रिड की स्थिरता के अनुसार चरणबद्ध तरीके से विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी गई।

 

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