नई दिल्ली: मानसून के दौरान जलभराव से होने वाली घटनाओं को देखते हुए दिल्ली सरकार का लोक निर्माण विभाग (PWD) सख्त हो गया है। विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि यदि किसी अंडरपास में जलस्तर छह इंच से अधिक हो जाता है, तो वहां से न केवल बसें, बल्कि कोई भी वाहन या पैदल यात्री नहीं गुजर सकेंगे।
यह फैसला पिछले वर्षों में हुई घटनाओं और भारी नुकसान को देखते हुए लिया गया है। अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है कि आदेशों की अवहेलना पाए जाने पर संबंधित कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डीटीसी भी हुआ सतर्क
दिल्ली परिवहन निगम (DTC) ने भी मानसून को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। डीटीसी ने निर्णय लिया है कि अधिक जलभराव वाले अंडरपासों पर कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी, जो बारिश के दौरान बसों को वैकल्पिक मार्गों की ओर मोड़ेंगे और अंडरपास से गुजरने से रोकेंगे। इसके लिए रूट परिवर्तन की योजना भी बनाई जा रही है।
हर अंडरपास पर तैनात होंगे चार कर्मचारी
PWD की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के अनुसार, प्रत्येक अंडरपास पर बारिश के दौरान कम से कम चार कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। ये कर्मचारी यातायात पुलिस के सहयोग से कार्य करेंगे और जलभराव की स्थिति में आमजन व वाहनों का आवागमन तुरंत रोकेंगे।
बारिश में खतरे में जान और संपत्ति
हर साल बारिश के दौरान कई अंडरपासों में इतना अधिक पानी भर जाता है कि वाहन फंस जाते हैं और इंजन खराब होने से लाखों रुपये का नुकसान होता है। पिछले वर्षों में कुछ घटनाएं ऐसी भी हुई हैं, जब लोग अंडरपास में डूबकर जान गंवा चुके हैं। खासतौर पर मिंटो ब्रिज, पुल प्रहलादपुर, आजादपुर, मुंडका, जखीरा रेलवे अंडरपास और किशनगंज अंडरपास ऐसे स्थान हैं, जो हर बार मानसून में जलभराव के कारण सुर्खियों में रहते हैं।
अब पालन न हुआ तो होगी जवाबदेही
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस बार यदि किसी अंडरपास में छह इंच या उससे अधिक पानी भरता है और फिर भी वहां से यातायात जारी रहता है, तो जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। आदेश का उल्लंघन अब नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
अब देखना यह होगा कि इस बार ये सख्त निर्देश जमीन पर उतरते हैं या फिर पहले की तरह सिर्फ कागज़ों में सीमित रह जाते हैं।