खनन निदेशक राजपाल लेघा के कुशल नेतृत्व में सरकार को मिला 645 करोड़ का राजस्व

देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कुशल राजस्व प्रबंधन पर लगातार बल दिया जाता रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर उपखनिज खनन नियमावली में सरलीकरण किया गया है, जिसके बाद खनन से राजस्व वसूली के रिकॉर्ड टूटने लगे हैं। इन सुधारों से न केवल खनन उद्योग में पारदर्शिता आई है, बल्कि राजस्व में भी बड़ा योगदान हुआ है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितम्बर) में भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय ने ₹456.63 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया है, जो पिछले वर्ष 2023-24 (माह अप्रैल-सितम्बर) की तुलना में ₹200.65 करोड़ अधिक है। यह वृद्धि 78 प्रतिशत के करीब है, जो राजस्व प्राप्ति के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।
वर्ष 2022-23 में निदेशालय ने ₹472.25 करोड़ की राजस्व प्राप्ति की। वहीं, वर्ष 2023-24 में ₹645.42 करोड़ का राजस्व अर्जित किया गया था। यह राशि गत वर्ष (2022-23) की तुलना में ₹173.17 करोड़ अधिक है, जो लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि है।
भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के निदेशक राजपाल लेघा ने बताया कि इस सफलता का श्रेय राज्य सरकार की सरलीकरण नीति को जाता है। उत्तराखण्ड उपखनिज परिहार नियमावली के तहत ई-निविदा और ई-नीलामी के माध्यम से नये खनिज लॉटों का चिह्निकरण और आवंटन किया गया। जिससे राजस्व में वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि अवैध खनन, परिवहन और भंडारण की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए गए और ई-रवन्ना पोर्टल की उन्नत निगरानी की गई। खनन कार्य को अधिक पारदर्शी और सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 45 माइन चेक गेट्स की स्थापना की जा रही है। इसके अलावा स्टोन क्रेशर्स और स्क्रीनिंग प्लांट्स में उपखनिज की आपूर्ति में भी सुधार हुआ है।

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